सुनने वाली पाइन के पेड़
एक छोटे से गाँव में, जो ऊँचे पहाड़ों के बीच बसा हुआ था, एक लड़की मीरा रहती थी। गाँव, हालांकि शांत था, विशाल जंगलों से घिरा हुआ था, जिसे “सुनने वाली पाइन के पेड़” के नाम से जाना जाता था। कहा जाता था कि जंगल के पेड़ उन लोगों से बातें करते थे, जो वास्तव में सुनने की कोशिश करते थे—वे अतीत की कहानियाँ, पृथ्वी के रहस्यों और हवाओं से मिलने वाली विद्या साझा करते थे।
मीरा जिज्ञासु और साहसी थी, हमेशा नई कहानियाँ सुनने की तलाश में रहती थी, लेकिन गाँववाले उसे जंगल में जाने से मना करते थे। उनका कहना था कि यह एक रहस्यमय स्थान है, जहाँ केवल वे लोग समझ सकते हैं, जिनका दिल शुद्ध हो।
एक दिन, जब सूर्य ढलने वाला था, मीरा जंगल में चली गई। जैसे ही वह छायादार बगान में कदम रखी, एक ठंडी हवा चली, मानो उसे स्वागत कर रही हो। वह सबसे बड़े पाइन के पेड़ के नीचे बैठी, अपनी आँखें बंद कीं और ध्यान से सुनने लगी।
शुरुआत में उसे केवल पत्तों की सरसराहट सुनाई दी, लेकिन धीरे-धीरे उसने हल्की फुसफुसाहट सुनी, जैसे कोई आवाज़ किसी पुराने समय से आ रही हो। पेड़ एक ऐसी भाषा में बात करने लगे जिसे वह पहले नहीं समझ पाई, लेकिन जैसे-जैसे वह ध्यान से सुनती, उसकी समझ बढ़ने लगी।
“दुनिया विशाल है, और समय केवल एक क्षणिक यात्रा है,” एक पेड़ फुसफुसाया, जिसकी गहरी आवाज़ ज़मीन में गूंज रही थी।
“यात्रा पर विश्वास रखो, क्योंकि हर रास्ते का अपना उद्देश्य होता है,” दूसरे पेड़ ने कहा, और उसकी शाखाएँ हल्के से हिलने लगीं।
मीरा, जो इस अद्भुत ज्ञान से अभिभूत थी, ने पूछा, “मेरा उद्देश्य क्या है? मैं यहाँ क्यों हूं?”
हवा तेज़ हो गई और सभी पेड़ एक साथ झूमने लगे। फिर, सबसे पुराना और सबसे ऊँचा पेड़, जिसकी…